बिलकिस (जिन्हें नाज़ है…)
मेरा नाम बिलकिस याकूब रसूल
मुझसे हुई बस एक ही भूल
की जब ढूँढ़ते थे वो राम को
तो मैं खड़ी थी राह में
पहले एक ने पूछा, ना मुझे कुछ पता था
दूजे को भी मेरा यही जवाब था
इतनों ने पूछा की, मेरा अब सवाल है की
जिन्हें नाज़ है हिंद पर वो कहाँ थे,
जिन्हें नाज़ है वो कहाँ है…
मेरा नाम श्रीमान सत्येन्द्र दुबे
जो कहना था वो कह चुके
अब पडे हैं राह में
दिल में लिए इक गोली
बस इतना कसूर की हमने लिखा था
वो सच जो हर किसी की जुबान था
पर सच यहाँ हो जाते हैं ज़हरीले
जिन्हें नाज़ है हिंद पर वो कहाँ थे,
जिन्हें नाज़ है वो कहाँ है…
मुझे कहते हैं अन्ना मंजुनाथ
मैंने देखी भटकती एक लाश
ज़मीर की बीच सड़क लखीमपुर खीरी
आदर्श फसां जहाँ नारों में
और चोर भरे दरबारों में
वहां मौत अखलाक की है इक खबर बासी
जिन्हें नाज़ है हिंद पर वो कहाँ थे, जिन्हें नाज़ है वो कहाँ है…
माझं नाव आहे नवलीन कुमार
उन्नीस जून उन्नीस बार
उन्नीस उन्नीस उन्नीस उन्नीस उन्नीस बार उन्नीस उन्नीस उन्नीस उन्नीस उन्नीस उन्नीस उन्नीस उन्नीस
उन्नीस उन्नीस उन्नीस उन्नीस उन्नीस बार
लूटो देहात खोलो बाज़ार
नालासोपारा और विरार
छीनो ज़मीन हमसे, हमें भेजो पाताल
जिन्हें नाज़ है हिंद पर वो कहाँ थे,
जिन्हें नाज़ है वो कहाँ है…
बिलकिस (जिन्हें नाज़ है…) – हे २००८ सालातील गीत असून रब्बी शेरगील हे त्याचे गीतकार, संगीतकार तसेच गायक आहेत.
गीत ऐकण्या साठी – bit.ly/rabbi_bilqis – लिंक वापरता येईल.